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Sunday, March 10, 2013

खुलासा करने की जिम्मेदारी अब सीबीआई को...

बलीपुर गांव में हुई डीएसपी जिआउल हक की हत्या की हकीकत का खुलासा करने की जिम्मेदारी अब सीबीआई के सांचे में समा चुकी है..वारदात का सच सामने लाने के लिए सीबीआई सुरागों की तलाश में बलीपुर पहुंची जहां शनिवार शाम मौत का संग्राम हुआ था...प्रत्यक्ष रुप से बलीपुर गांव में सीबीआई सुबूत जुटा रही थी लेकिन पर्दे के पीछे हो रहा था तकनीक का खेल... जिसे न तो राजा भैय्या समझ पा रहे होंगे और न ही बलीपुर के लोग....
 कुंडा के बलीपुर में हुए हत्याकांड की हकीकत का पता लगाने के लिए सीबीआई की टीम ने कुंडा के लिए कूच किया... सीबीआई की इस टीम में 12 बारीक और तेजतर्रार आफिसर शामिल थे... जुर्म की दुनिया के तमाम बडे अपराध राजा भैय्या के नाम हों... भले ही राजा भैय्या ने कई बार पुलिसिया तफ्तीश का सामना किया हो...भले ही राजा भैय्या जेल भी गया हो... लेकिन सीबीआई से राजा का सामना पहली बार होगा...सीबीआई भी जानती है कि कुंडा में राजा के खिलाफ सुबूत जुटा पाना आसान नहीं लिहाजा सीबीआई बेहद शातिराना तरीके से इस केस की तफ्तीश में जुटी....तफ्तीश के इसी सिलसिले में सीबीआई की टीम सबसे पहले कुंडा नगर पंचायत पहुंची... हालंकि सीधे तौर पर नगर पंचायत का हत्याकांड वाली जगह से कोई लेना देना न हो लेकिन फिर भी पूछताछ की शुरुआत सीबीआई ने नगर पंचायत से ही की
सीबीआई की टीम ने कुंडा नगर पंचायत पहुंचकर पुलिस और प्रशासनिक लोगों से पूछताछ की....इस तफ्तीश में सीबीआई ने करीब 45 मिनट लगाये... इसके बाद सीबीआई की टीम क्राइम सीन यानि बलीपुर गांव के लिए रवाना हुई...गांव में दाखिल होते ही सीबीआई की टीम ने सबसे पहले उस जगह का मुआयना किया जहां प्रधान नन्हें सिंह का कत्ल किया गया था...इसके बाद सीबीआई ने उस जगह की तफ्तीश की जहां नन्हें सिंह के भाई सुरेश को गोली मारी गई थी...बारीकी से मौका मुआयना करने के बाद सीबीआई की टीम ने उस जगह की पड़ताल की जहां जिआउल हक की लाश गिरी हुई थी...सीबीआई ने उन घरों को भी बारीकी से देखा जिन्हें वारदात के बाद आग के हवाले कर दिया गया था... इन जगहों की पड़ताल करने के बाद सीबीआई की टीम आरोपी गुड़्डू सिंह के घर के सामने से गुजरी लेकिन टीम ने किसी से पूछताछ नहीं की...इसके बाद सीबीआई टीम का गुजरना प्रधान नन्हें सिंह के घर के सामने से भी हुआ लेकिन वहां भी सीबीआई की टीम ने किसी से कोई सवाल जबाव करना मुनासिब न समझा.... सीबीआई की टीम गांव से निकलकर सीधा कुंडा डाक बंगला पहुंच गई...
सीबीआई की टीम गांव में दाखिल हुई और उसके बाद गांव से बिना किसी से पूछताछ किये चली भी गई......ऐसे में गांववालों के दिमाग में ये सवाल कोंधता रहा कि आखिर सीबीआई ने लोगों से सवाल जबाव क्यों नहीं किये...क्यों सीबीआई ने पीडित और आरोपी के घरवालों से बात करना मुनासिब नहीं समझा...गांव में सीबीआई की खामोशी लोगों की जुबान पर कई अनसुलझे सवाल छोड गई
सीबीआई इस केस का सच सामने लाने के लिए भले ही लोगों की नजरों के सामने सुरागों की तलाश में जुटी हो लेकिन पर्दे के पीछे उसने बिछाया हुआ है तकनीक का जाल....मसलन सीबीआई की एक टीम स्थानीय लोगों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और कुछ पुलिस वालों के फोन को सर्विलांस पर लिये हुए थी... सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक सीबीआई तकनीक के चक्रव्यूह के जरिये फोन कॉल्स पर निगाह रख रही है....और ये पता लगा रही है कि जिस जगह वो पहुंचते हैं वहां से कितने फोन राजा भैय्या और उसके जानकारों के पास जा रहे हैं या फिर उनके फोन गांववालों के पास आ रहे हैं....
सीबीआई जानती है कि अब तक राजा भैय्या और उसके गुर्गे सीधे वारदात को अंजाम देते रहे हैं... दबंगई के साथ पुलिस की तफ्तीश का हिस्सा बनते रहे हैं... लेकिन तकनीक के खेल पर आज तक उन्होंने गौर नहीं किया लिहाजा सीबीआई राजा के राज को उजागर करने के लिए तकनीक के तिलिस्म का इस्तेमाल कर रही है
जितनी तेजी से इस केस में राजा भैय्या का नाम सामने आया....जितनी तेजी से इस से इस केस की जांच सीबीआई को सोंपी गई...सीबीआई चाहती है कि उतनी ही तेजी से जिआउल हक की हत्या का राज भी सामने आना चाहिये...लिहाजा जिआउल हक की हत्या में राजा भैय्या की भूमिका का पर्दाफाश करने के लिए सीबीआई हर हथकंडे अपनाने में जुटी हुई है


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