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Monday, March 11, 2013

देश की सबसे सुरक्षित जेल में ये क्या हुआ



सोमवार सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल में दिल्ली गैंगरेप केस का आरोपी रामसिंह फंदे पर  झूलता पाया गया। इस घटना के बाद सवाल उठा कि आखिर देश की सबसे सुरक्षित जेल में ये हुआ कैसे... शुरुआती तहकीकात कहती है कि रामसिंह ने बैरक में लगे रोशनदान की ग्रिल और कपड़ों के जरिये अपनी जिंदगी की रोशनी हमेशा के लिए बुझा दी.... लेकिन तिहाड़ प्रशासन ये बताने की हालत में नहीं है कि जब रामसिंह ने दम तोड़ा तब जेलकर्मी कहां और क्या कर रहे थे।


दिन सोमवार
वक्त सुबह 5.45 बजे
तिहाड़ जेल
दिन ठीक से निकला भी नहीं था कि तिहाड़ की ऊंची दीवारों के पीछे सनसनी फैल गई। कुछ लम्हों बाद छनकर ये खबर बाहर आई कि दिल्ली गैंगरेप के आरोपी रामसिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली। चार लाइनों में लिखी तिहाड़ प्रशासन की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक

तिहाड़ प्रशासन को रामसिंह की मौत की खबर सुबह 5.45 बजे मिली
सुबह कैदियों के बैरक खोलने पहुंचे हेड वॉर्डन ने रामसिंह को टंगे देखा
रामसिंह बैरक के रोशनदान से दरी, नाड़े और कपड़ों से बने फंदे से झूल रहा था 

तिहाड़ की जेल नम्बर तीन में 25 सेल हैं और इन्हीं 25 में से एक में रामसिंह को तीन और कैदियों के साथ रखा गया था... सुबह करीब पांच बजकर 45 मिनट पर सुरक्षा गार्ड की सेल में निगाह पड़ी तो फांसी के फंदे पर लटकी रामसिंह की लाश नजर आई... रामसिंह की मौत मौत की खबर मिलते ही जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया... दिल्ली पुलिस से लेकर दिल्ली सरकार और गृहमंत्रालय को वारदात की जानकारी दे दी गई... सवाल उठा कि आखिर कैसे कोई कैदी बेहद सुरक्षित जेल की सेल में फांसी लगा सकता है... फौरन जेल में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एक टीम और फोरेंसिक एक्सपर्टस टीम को बुलाया गया ताकि सुसाइड का सच सामने सके

रौशनदान की ग्रिल से लटकर दी जान

मौका मुआयना करने के बाद सामने आया कि रामसिंह ने खुदकुशी करने के लिए बाल्टी,  एक दरी, और अपने कपड़ों का इस्तेमाल किया.. जेल सूत्रों से मिल रही खबरों के मुताबिक जब अहले सुबह जेल में सारे कैदी गहरी नींद में सो रहे थे तो रामसिंह ने दरी के किनारे से एक लंबा पट्टा काटा.... और फिर उस पट्टे, अपने कपड़े और अंडरगारमेंटस के नाडें की मदद से उसने फांसी का फंदा बनाया....सेल में करीब 8 फिट की ऊंचाई पर एक रोशनदान था जहां तक पहुंचने के लिए रामसिंह ने बाल्टी का इस्तेमाल किया और फिर रोशनदान में लगी ग्रिल में फंदे का एक सिरा बांधकर दूसरा फंदा अपने गले में डाल लिया...और बाल्टी को ठोकर मारकर फंदे पर झूल गया।

सुबह करीब पौने छह बजे जब सेल के लोग जागे तब इस वारदात का खुलासा हुआ....रामसिंह की खुदकुशी की खबर ने जेल प्रशासन के होश उड़ा दिये....पूरा अमला इस बात की तहकीकात में जुट गया कि आखिर बेहद सुरक्षित घेरे के बावजूद रामसिंह ने खुदकुशी की तो की कैसे...


राम सिंह ने खुदकुशी क्यों की ?



राम सिंह के परिवार ने उसकी मौत को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं... राम सिंह के पिता ने दो टूक कहा- मेरा बेटा मरा नहीं मारा गया है.. चार दिन पहले राम सिंह से उन्होंने मुलाकात भी की थी... ये सवाल आज देश में हर किसी के मन में बार बार आ रहा है... आखिर राम सिंह ने 

खुदकुशी क्यों की...? 

राम सिंह को जानने वालों के मुताबिक वो जिद्दी और अहंकारी था..  जेल जाने के बाद भी राम सिंह के चेहरे पर कभी पछतावे की लकीर नहीं उभरी। जेल की कोठरी में वो चुप रहता था... सूत्रों के मुताबिक जेल के अंदर उसने कभी नहीं कबूला कि उससे गलती हुई। जेल के अधिकारियों से भी उसने माफी की बात नहीं की। जिस शख्स को अपनी गलती पर ज़रा भी पछतावा नहीं था आखिर उसने खुदकुशी क्यों की
आखिर क्या वजह थी कि राम सिंह ने खुदकुशी का फैसला किया ?
खुदकुशी से पहले राम सिंह के दिमाग में क्या चल रहा था ?



खुदकुशी की पहली वजह

राम सिंह को तिहाड़ के जेल नं. 3 में रखा गया था.. संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल को इसी जेल में फांसी दी गई थी.. सूत्र बताते हैं कि अफजल की फांसी के बाद से राम सिंह बेहद डरा हुआ था.. उसे लग रहा था कि उसे भी फांसी दे दी जाएगी..

खुदकुशी की दूसरी वजह

राम सिंह को पता था दिल्ली गैंगरेप मामले की सुनवाई फार्स्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही है.. आरोप साबित होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। कानून में बदलाव की बात भी चल रही है। ऐसे हालात में उसे डर सता रहा था कि आज नहीं तो कल फांसी से लटका दिया जाएगा
 
खुदकुशी की तीसरी वजह

गैंगरेप के आरोपियों के खिलाफ देश में जबरदस्त गुस्सा था..वैसा ही तिहाड़ के अंदर भी था..  राम सिंह को जब तिहाड़ लाया गया था तो कैदियों ने उसकी जमकर पिटाई कर डाली थी..उस वक्त भी राम सिंह और उसके साथियों ने कहा था कि हम घुट-घुट कर मर रहे हैं। उन आरोपियों ने गुहार लगाई थी कि चाहे हमें मौत की सजा दे दो लेकिन जेल से बाहर निकालो। इसे भी मौत की एक वजह माना जा रहा है।



खुदकुशी की चौथी वजह

तिहाड़ जेल के कैदी राम सिंह से नफरत करते थे.. राम सिंह को गालियां दी जाती थी.. कई बार उसके साथ बुरी तरह मारपीट भी
हुई। सूत्रों की मानें तो इसके बाद से वो परेशान रहता था... उससे कोई बात नहीं करता था.. राम सिंह तन्हाई की जिंदगी से उबता जा रहा था।

खुदकुशी की पांचवीं वजह

गैंगरेप के आरोपी राम सिंह के खिलाफ कैदी किसी हद तक जा सकते थे.. कैदियों मे इतना गुस्सा था कि वो राम सिंह की जान ले सकते थे.. राम सिंह के पिता भी कहते हैं कि उसका बेटा खुदकुशी नहीं कर सकता था। उसे मारा गया है।
बाइट- पिता

खुदकुशी की छठी वजह

कैदियों के गुस्से को देखते हुए राम सिंह को अलग वार्ड में शिफ्ट किया गया था.. जहां वो तीन और कैदियों के साथ रहता था। लेकिन कोई भी कैदी उससे बातचीत नहीं करता था..जिसकी वजह से राम सिंह काफी परेशान रहता था। 


कौन है राम सिंह ?



पिछले पंद्रह महीने में तिहाड़ में तीन कैदी सुसाइड कर चुके हैं...  लेकिन राम सिंह की खुदकुशी से ये मामला हाईलाइट हुआ है। लोग जानना चाहते हैं कि राम सिंह कौन है ...

दिल्ली में पिछले साल 16 दिसंबर की जिस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को हिला दिया... एक लड़की के साथ जिस दरिंदगी पर पूरे देश का खून खौल उठा... राम सिंह उसी शर्मनाक वारदात का सबसे मुख्य आरोपी था...
राम सिंह ही वो आरोपी था जिसने अदालत में कहा था कि उसने बहुत बड़ा गुनाह किया है लिहाजा उसे फांसी दे दी जाए... उसके गुनाहों की सजा का इंतजार अभी पूरा देश कर ही रहा था कि उसने ख़ुद ही अपनी जान दे दी...
16 दिसंबर की रात 23 साल की लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था... राम सिंह उस बस का ड्राइवर था... ये वो रात थी जब दिल्ली की सड़क पर चलती बस में एक लड़की के साथ 6 लोगों ने गैंगरेप किया... बस में लड़की के साथ उसका दोस्त भी मौजूद था... आरोपियों ने दोनों की बुरी तरह पिटाई की... फिर उस लड़की के साथ दरिंदगी की सारी सीमा लांघकर वो सबकुछ किया, जिस पर पूरा देश उबल पड़ा...
18 दिसंबर को राम सिंह को गिरफ़्तार कर लिया गया था... तब से वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था... राम सिंह सबसे पहले पकड़ा गया था.. राम सिंह का छोटा भाई मुकेश सिंह भी इस केस में आरोपी है.. वो भी तिहाड़ जेल में बंद है..
राम सिंह का पेशा क्या था ?
33 साल का राम सिंह बस ड्राइवर था। साल 2009 में एक एक्सीडेंट में उसके हाथ में गंभीर चोट आई थी। डॉक्टरों ने उसके दोनों हाथ में रॉड लगा दिया था. इसके बावजूद वो बस चलाता था।
दक्षिण दिल्ली की एक बस्ती में रहने वाले राम सिंह के बारे में कहा जाता है कि वो अक्सर शराब पीता था। शराब के नशे में वो मारपीट और गालीगलौज भी करता था। इलाके के लोग उससे परेशान रहते थे। 



जेल की दुनिया आखिर कैसी होती है...!



जेल की दुनिया आखिर कैसी होती है... सच तो ये है कि तिहाड़ की दीवारों के पीछे एक अलग ही दुनिया बसती हैं.. मुल्ज़िमों और गुनहगारों की वो दुनिया जिसमें रिहाई की उम्मीद ही इंसान को ज़िंदा रहने की ताकत देती है। शायद उम्मीद की इसी ताकत को रामसिंह खो बैठा था। आइये आपको बताएं कैसी होती है जेल की ज़िंदगी, क्या होता है कैदियों का रुटीन।

एशिया की सबसे बड़ी जेल.. तिहाड़ जेल। देश की सबसे सुरक्षित जेल... तिहाड़ जेल। इस जेल में हजारों की तादात में मौजूद हवालाती और कैदी सालभर मौजूद होते हैं.. अपना काम करते करते वो इसी उम्मीद में दिन काटते हैं कि एक दिन उनको भी रहाई नसीब होगी... एक दिन वो भी जेल की इन सलाखों से आज़ाद होंगे... कुछ बरी होकर तो कुछ अपनी सज़ा काटकर।

आइये अब आपको बताएं क्या होता है तिहाड़ जेल में कैदियों का रुटीन।

कैदियों का नाश्ता

कैदियों के बैरकों को रोज़ाना सुबह 6 बजे खोला जाता है। इस दौरान तमाम कैदियों को एक एक कर गिना जाता है। और फिर उनकी संख्या को कागज़ पर मौजूद कैदियों की कुल तादात से मिलाया जाता है। इसके करीब 40 मिनट बाद कैदियों को चाय-ब्रेड और भुने हुए चने का नाश्ता दिया जाता है।

कैदियों की सुबह
नाश्ते के बाद वो कैदी जिनकी अदालत में तारीख होती है उन्हें जेल की बस में अदालतों को भेज दिया जाता है। बाकी के ज्यादातर कैदी काम में जुट जाते हैं.. कुछ जेल प्रशासन द्वारा दिए गए काम जैसे कैंटीन चलाने और जेल की फैक्ट्रियों में काम करने में जुट जाते हैं कुछ जेल की साफ सफाई और बागवानी के काम में जुट जाते हैं। 12 बजे तक कैदी इन्हीं कामों में लगे रहते हैं।

कैदियों का लंच
करीब साढ़े ग्यारह बजे कैदियों को दोपहर का खाना दिया जाता है इस दौरान कैदियों को एक सब्ज़ी एक दाल, चार रोटियां और चावल दिए जाते हैं।

कैदियों की दोपहर
इसके बाद दोपहर के करीब 12 बजे कैदियों को एक बार फिर से उनके बैरकों में बंद कर दिया जाता है। इस दौरान एक बार फिर से सभी कैदियों को गिना जाता है। लगभग सभी कैदी शाम चार बजे तक इसी तरह अपने अपने बैरकों में बंद रहते हैं। इस दौरान वो या तो सोते हैं या फिर टीवी देखते हैं।


कैदियों की शाम
शाम करीब 4 बजे एक बार फिर से कैदियों के बैरकों को खोला जाता है। इस दौरान कैदियों को अपने अपने वॉर्ड में टहलने दिया जाता है। इसके बाद शाम करीब 6 बजे कैदियों को फिर से बैरकों में लौटने को कहा जाता है इस दौरान फिर से कैदियों को गिना जाता है। ऐसे ही रामसिंह भी रविवार की रात अपने बैरक में बंद हुआ था लेकिन अगली सुबह नहीं देख सका उसने खुदकुशी की या उसकी हत्या हुई ये जानने के लिए अब सभी को उसकी पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है।

Sunday, March 10, 2013

हत्या का राज जानने में जुटी सीबीआई

जांबाज डीएसपी जिआउल हक की हत्या का राज जानने के लिए सीबीआई जांच में जुटी है...सीबीआई को भी पूरा अंदेशा है कि बलीपुर गांव से ही उसके हाथ कोई सुराग लगेगा
जो इस हत्या की हकीकत सामने लायेगा... सीबीआई बार बार शनिवार शाम हुई वारदात की कडियां जोड़ने में जुटी है...आइये एक बार फिर से देखते हैं कि आखिर शनिवार शाम बलीपुर गांव में कैसे खेला गया था मौत का खूनी खेल

तारीख 2 मार्च 2013, दिन शनिवार, गांव में गिरी पहली लाश
कुंडा के बलीपुर गांव में सब कुछ रोजाना की तरह सामान्य था....सूरज ढल चुका था ...शाम के अंधेरे ने गांव में दस्तक दे दी थी....गांव के प्रधान नन्हें सिंह...बलीपुर चौक पर कुछ लोगों के साथ मौजूद थे इसी बीच अचानक गांव में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंज उठी... और नन्हें सिंह की लाश जमीन पर पड़ी थी...नन्हें सिंह को बचाने की कोशिश तो की गई लेकिन कोई फायदा न हुआ.... असल में नन्हें सिंह का गांव के ही कामता पाल से बाजार और गांव की ही जमीन के एक टुकड़े को लेकर आपसी रंजिश चल रही थी...
नन्हें सिंह पर चली गोलियों के लिए सीधे तौर पर कामता पाल और उनके समर्थकों को जिम्मेदार माना गया...बदले की आग में झुलसे नन्हें सिंह के घरवाले कामतापाल के घर की ओर चल पडे... इसी बीच गांव में दोनों गुटों की ओर से गोलीबारी शुरु हो गई....इस हमले में एक गोली नन्हें सिंह के भाई सूरज को जा लगी और उनकी भी मौत हो गई...
गांव में हो रही गोलीबारी की खबर पुलिस को मिल चुकी थी....डीएसपी जिआउल हक एक टीम के साथ गांव पहुंच चुके थे...आरोप है कि गोलीबारी को देखते हुए जिआउल हक की टीम के साथी तो गांव से भाग खड़े हुए लेकिन जिआउल हक गोलीबारी रोकने के लिए गांव में दाखिल हो गये....जिआउल हक की पत्नी परवीन आजाद की मानें तो गांव में ही मौजूद राजा भैय्या के समर्थकों ने उन्हें पहले तो पीटा...फिर उनके कपड़े फाड़े औऱ फिर बर्बरता के साथ उनके जिस्म को गोलियों से भेद दिया गया
गांव में हुई तीन हत्याओं की खबर मिलते ही पुलिस से लेकर प्रशासन में हड़कंप मच गया... विपक्षी दलों ने राज्य सरकार को घेरना शुरु किया..तो जिआउल हक के चलते राज्य का अल्पसंख्यक तबका भी सरकार से खफा दिखा...सवालों में घिरी अखिलेश सरकार ने फौरन पीडित जिआउल हक के परिवार वालों की मांग को मानते हुए हत्याकांड की सीबीआई जांच की सिफारिश केन्द्र सरकार से कर दी....और एक बार फिर सीबीआई के हाथों में एक बेहद अहम केस का जांच आ गया...सीबीआई जांच में जुटी है और उसके सामने वारादात का आरोपी है प्रतापगढ़ का बाहुबली राजा भैय्या,.. सीबीआई जानती है कि राजा भैय्या के खिलाफ सुबूत जुटा पाना आसान नही....लेकिन सीबीआई की कोशिश जारी है और उम्मीद है कि सियासत की शह पर जांच को उलटने पलटने वाली सीबीआई इस केस का सच उजागर करेगी

राजा भैय्या कोई कम मुसीबतों से नहीं गुज़रे हैं...

सीबीआई के काम करने के तरीके में आखिर ऐसा क्या है जिससे राजा भैय्या की ज़बान सूख रही है। दरअसल राजा भैय्या ये जानते हैं कि यूपी पुलिस से निपटना और बात है और सीबीआई के चक्रव्यूह को तोड़ना और बात। लिहाज़ा राजा भैय्या की फिक्र जायज़ कही जाएगी। 
जी हां राजा भैय्या और उनके समर्थकों के चेहरे पर इन दिनों छाई चिंता की लकीरों की वजह सीबीआई है। कोर्ट कचहरी मुकद्दमेबाज़ी के झंझट राजा भैय़्या के लिए नए नहीं है.. ऐसे तो दर्जनों इल्ज़ामों से वो गुज़र चुके हैं लेकिन इस बार मामला अलग है... इस बार जांच मुल्क की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के हाथों में है... मतलब साफ कि राजा भैय्या संकट में हैँ।

कुंडा समेत यूपी में राजा भैय्या की लंबे वक्त से कायम दबंगई की बड़ी वजह थी यूपी पुलिस.. क्योंकि पुलिस जो भी केस बनाती सरकार बदलते ही केस के हालात बदल जाते... क्योंकि मन माफिक पुलिस अधिकारियों के तबादले होते... अधिकारियों पर सूबे की सरकार का सरकारी दबाव होता... और इस सब के बीच राजा भैय्या के केस या तो सरकार वापस ले लेती या फिर सबूतों के आभाव में अदालत उन्हें बरी कर देती... लंबे वक्त से राजा भैय्या की दुकान ऐसे ही चल रही थी... लेकिन इस बार मामला गड़ब़डा गया... जांच सीबीआई के हाथों में चली गई.. और राजा भैय्या के चेहरे से मुस्कान भी गायब हो गई।  
राजा भैय्या कोई कम मुसीबतों से नहीं गुज़रे हैं... कम ही केस होंगे जिनके इल्ज़ाम के दाग़ राजा भैय्या के दामन पर नहीं सजे हों... लेकिन हर बार सरकार का सहारा मिल जाता था... राजा भैय्या की नाव पार लग ही जाती थी.. लेकिन राजा भैय्या बखूबी जानते हैं कि सीबीआई पर सूबे की सरकार की नहीं चलने वाली... मुल्क की सबसे बड़ी जांच ऐसेंजी पर उनके यूपी सरकार के करीबी होने का कोई असर नहीं पड़ने वाला। लिहाजा राजा भैय्या जानते हैं कि वो अब तक की सबसे मुसीबत में हैं।
 यूं तो सीबीआई यूपी के हजारों करोड़ के खा्दान्न घोटाले में भी राजा भैय्या की भूमिका की जांच कर रही है... लेकिन फौजदारी के मुकद्दमे की बात और है... इसमें बचना आसान नहीं... लिहाजा राजा भैय्या और उनके समर्थक फिलहाल सदमें में हैं क्योंकि सीबीआई ने राजा भैय्या को एफआईआर में कत्ल का आरोपी बनाकर इशारा दे दिया है कि वो करने क्या जा रही है।

खुलासा करने की जिम्मेदारी अब सीबीआई को...

बलीपुर गांव में हुई डीएसपी जिआउल हक की हत्या की हकीकत का खुलासा करने की जिम्मेदारी अब सीबीआई के सांचे में समा चुकी है..वारदात का सच सामने लाने के लिए सीबीआई सुरागों की तलाश में बलीपुर पहुंची जहां शनिवार शाम मौत का संग्राम हुआ था...प्रत्यक्ष रुप से बलीपुर गांव में सीबीआई सुबूत जुटा रही थी लेकिन पर्दे के पीछे हो रहा था तकनीक का खेल... जिसे न तो राजा भैय्या समझ पा रहे होंगे और न ही बलीपुर के लोग....
 कुंडा के बलीपुर में हुए हत्याकांड की हकीकत का पता लगाने के लिए सीबीआई की टीम ने कुंडा के लिए कूच किया... सीबीआई की इस टीम में 12 बारीक और तेजतर्रार आफिसर शामिल थे... जुर्म की दुनिया के तमाम बडे अपराध राजा भैय्या के नाम हों... भले ही राजा भैय्या ने कई बार पुलिसिया तफ्तीश का सामना किया हो...भले ही राजा भैय्या जेल भी गया हो... लेकिन सीबीआई से राजा का सामना पहली बार होगा...सीबीआई भी जानती है कि कुंडा में राजा के खिलाफ सुबूत जुटा पाना आसान नहीं लिहाजा सीबीआई बेहद शातिराना तरीके से इस केस की तफ्तीश में जुटी....तफ्तीश के इसी सिलसिले में सीबीआई की टीम सबसे पहले कुंडा नगर पंचायत पहुंची... हालंकि सीधे तौर पर नगर पंचायत का हत्याकांड वाली जगह से कोई लेना देना न हो लेकिन फिर भी पूछताछ की शुरुआत सीबीआई ने नगर पंचायत से ही की
सीबीआई की टीम ने कुंडा नगर पंचायत पहुंचकर पुलिस और प्रशासनिक लोगों से पूछताछ की....इस तफ्तीश में सीबीआई ने करीब 45 मिनट लगाये... इसके बाद सीबीआई की टीम क्राइम सीन यानि बलीपुर गांव के लिए रवाना हुई...गांव में दाखिल होते ही सीबीआई की टीम ने सबसे पहले उस जगह का मुआयना किया जहां प्रधान नन्हें सिंह का कत्ल किया गया था...इसके बाद सीबीआई ने उस जगह की तफ्तीश की जहां नन्हें सिंह के भाई सुरेश को गोली मारी गई थी...बारीकी से मौका मुआयना करने के बाद सीबीआई की टीम ने उस जगह की पड़ताल की जहां जिआउल हक की लाश गिरी हुई थी...सीबीआई ने उन घरों को भी बारीकी से देखा जिन्हें वारदात के बाद आग के हवाले कर दिया गया था... इन जगहों की पड़ताल करने के बाद सीबीआई की टीम आरोपी गुड़्डू सिंह के घर के सामने से गुजरी लेकिन टीम ने किसी से पूछताछ नहीं की...इसके बाद सीबीआई टीम का गुजरना प्रधान नन्हें सिंह के घर के सामने से भी हुआ लेकिन वहां भी सीबीआई की टीम ने किसी से कोई सवाल जबाव करना मुनासिब न समझा.... सीबीआई की टीम गांव से निकलकर सीधा कुंडा डाक बंगला पहुंच गई...
सीबीआई की टीम गांव में दाखिल हुई और उसके बाद गांव से बिना किसी से पूछताछ किये चली भी गई......ऐसे में गांववालों के दिमाग में ये सवाल कोंधता रहा कि आखिर सीबीआई ने लोगों से सवाल जबाव क्यों नहीं किये...क्यों सीबीआई ने पीडित और आरोपी के घरवालों से बात करना मुनासिब नहीं समझा...गांव में सीबीआई की खामोशी लोगों की जुबान पर कई अनसुलझे सवाल छोड गई
सीबीआई इस केस का सच सामने लाने के लिए भले ही लोगों की नजरों के सामने सुरागों की तलाश में जुटी हो लेकिन पर्दे के पीछे उसने बिछाया हुआ है तकनीक का जाल....मसलन सीबीआई की एक टीम स्थानीय लोगों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और कुछ पुलिस वालों के फोन को सर्विलांस पर लिये हुए थी... सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक सीबीआई तकनीक के चक्रव्यूह के जरिये फोन कॉल्स पर निगाह रख रही है....और ये पता लगा रही है कि जिस जगह वो पहुंचते हैं वहां से कितने फोन राजा भैय्या और उसके जानकारों के पास जा रहे हैं या फिर उनके फोन गांववालों के पास आ रहे हैं....
सीबीआई जानती है कि अब तक राजा भैय्या और उसके गुर्गे सीधे वारदात को अंजाम देते रहे हैं... दबंगई के साथ पुलिस की तफ्तीश का हिस्सा बनते रहे हैं... लेकिन तकनीक के खेल पर आज तक उन्होंने गौर नहीं किया लिहाजा सीबीआई राजा के राज को उजागर करने के लिए तकनीक के तिलिस्म का इस्तेमाल कर रही है
जितनी तेजी से इस केस में राजा भैय्या का नाम सामने आया....जितनी तेजी से इस से इस केस की जांच सीबीआई को सोंपी गई...सीबीआई चाहती है कि उतनी ही तेजी से जिआउल हक की हत्या का राज भी सामने आना चाहिये...लिहाजा जिआउल हक की हत्या में राजा भैय्या की भूमिका का पर्दाफाश करने के लिए सीबीआई हर हथकंडे अपनाने में जुटी हुई है


कौन बोलेगा... आखिर कौन मुंह खोलेगा !

कौन बोलेगा... आखिर कौन मुंह खोलेगा रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैय्या के खिलाफ पूरे कुंडा में। ये वो सवाल है जिसपर इस केस की नींव टिकी है। कुंडा समेत पूरे प्रतापगढ़ में राजा भैय्या का खौफ कुछ ऐसा है कि उनके खिलाफ ज़बान खोलने वाला ढूंढना मुश्किल है। कैसे सुलझाएगी सीबीआई इस पहेली को आइये बताएं।  
जब शुक्रवार को सीबीआई की टीम पहली बार प्रतापगढ़ आ पहुंची... मकसद डीएसपी मर्डर मामले में राजा भैय्या के खिलाफ सबूत और गवाहों की तलाश। लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या इस ज़मीन पर कोई राजा भैय्या के खिलाफ ज़बान खोलेगा।
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या.... उत्तर प्रदेश की सियासत से जुडा वो नाम... जिसे खौफनाक साजिश का सिरमौर माना जा रहा है... राजा भैय्या वो नाम है जो सत्ता के गलियारों में भी वैसे ही पहचाना जाता है जैसे य़ूपी के जरायमपेशा लोगों में। इस शख्स की दहशत का निजाम कुछ ऐसा है कि प्रतापगढ़ में राजा भैय्या के खिलाफ जाने की हिम्मत किसी की नहीं.... ऐसा हो नहीं सकता कि राजा भैय्या के सामने से कोई गुजरे और वो राजा भैय्या के सामने गर्दन न झुकाये... कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि अगर ऐसा करने की किसी ने हिमाकत की तो उसका अंजाम सिवाय मौत के कुछ नहीं.....
बीते शनिवार कुंडा के बलीपुर गांव में हुई गोलीबारी में ग्राम प्रधान नन्हें सिंह उनके भाई सुरेश और डीएसपी जिआउल हक की हत्या कर दी गई....डीएसपी की हत्या के बाद यूपी की सियासत में भूचाल मचा हुआ है....राजा भैय्या पर सीधा आरोप है कि इस हत्या में उनका हाथ है...ये हत्या बीच गांव में उनके इशारे पर कराई गई... लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर जिआउल हक के परिवार के अलावा इस मामले में कौन राजा भैय्या के खिलाफ बोलेगा...यकीनन ये जांच का विषय है कि राजा भैय्या की इस हत्या में क्या भूमिका है लेकिन सवाल ये है कि क्या सीबीआई इस मामले में एक अदद चश्मदीद तलाश पाएगी।

राजा भैय्या का खौफ का कद इनता बड़ा है कि उनके खिलाफ बोलने की हिमाकत प्रतापगढ़ में किसी की नहीं....ऐसे में सीबीआई के सामने सबसे बड़ी चुनौती वारदात के चश्मदीद को तलाशना होगी जो बता सके जिआउल हक की हत्या की हकीकत क्या है 

ये सच है कि सीबीआई के लिए इस मामले में एक भी चश्मदीद मिलना एक बड़ी कामयाबी होगी, और सीबीआई किसी भी कीमत पर कम से कम एक चश्मदीद हासिल करना चाहेगी। लेकिन इस बात से भी सीबीआई के अफसर वाकिफ हैं कि ऐसा होना आसान नहीं है। दरअसल जिआउल हक की हत्या गांववालों के सामने हुई.... हत्या से पहले उन्हें जमकर पीटा गया....उनके कपड़े फाड़े गये... और फिर उन्हें गोली मार दी गई..ये बात भी दीगर है कि इस मामले के चश्मदीद भी कई लोग होंगे लेकिन राजा भैय्या के खिलाफ किसी चश्मदीद को सामने ला पाना इतना आसान नहीं...भले ही केस की जांच सीबीआई के हाथों में हो....भले ही सीबीआई इस केस की जड़ में जाने का दावा करे...लेकिन जिआउल हक की हत्या की हकीकत सामने ला पाना...दोषियों को बेनकाब करना....राजा भैय्या के कुंडा राज में सीबीआई के लिए आसान नहीं....

सीबीआई के अधिकारी कुंडा में एक ऐसा नेटवर्क बनाने का प्रयास करेंगे जो किसी ऐसे आदमी को लोकेट कर सके जो न सिर्फ हत्या का चश्मदीद गवाह हो बल्कि राजा के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत भी कर सके। दरअसल सीबीआई को यकीन है कि कुंडा में ऐसे लोग भी होंगे जो राजा के खिलाफ मुंह खोलने के लिए सही समय का इंतज़ार कर रहे होंगे।