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Friday, August 19, 2011

थाने के 'भुतहा कक्ष' से डरते हैं दरोगा साहब!

            बड़े-बड़े अपराधियों और नक्सलियों का सामना कर उनके छक्के छुड़ाने वाली वाली उत्तर प्रदेश पुलिस एक थाने के 'भुतहा कक्ष' से डरती है। डर इस कदर कि कोई उसमें जाना नहीं चाहता, जिसके कारण यह पिछले 10 साल से खाली पड़ा है। देवरिया  जिले के तरकुलवा पुलिस थाने के प्रभारी (एसएचओ) का कार्यालय 2001 से ही बंद पड़ा है। कहा जाता है कि यहां एक मौलाना की आत्मा का वास है। जो भी इसमें काबिज होने की इच्छा करता है उसका नुकसान हो जाता है।
तरकुलवा थाने के वर्तमान प्रभारी उपेंद्र यादव ने कहा, "सालों से इसी डर के कारण कोई भी प्रभारी इस कक्ष में जाने की कोशिश नहीं करता। अपने पूर्व अधिकारियों की तरह मैं भी इस कक्ष का प्रयोग नहीं करता।" छह महीने पहले कानपुर से स्थानांतरित होकर यहां आए यादव सुसज्जित कार्यालय होने के बावजूद थाने के एक बरामदे में कुर्सी-मेज लगवाकर सरकारी कामकाज निपटाते हैं।
थाने के कर्मचारियों के मुताबिक, जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तरकुलवा थाने के प्रभारियों को कक्ष से कामकाज करने के लिए प्रोत्साहित करने की हरसम्भव कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। थाने के एक पुलिसकर्मी ने बताया कि पूर्व पुलिस अधीक्षक ने प्रभारी कक्ष को प्रेतात्मा से मुक्त कराने के लिए थाने में हवन और पूजा-पाठ भी करवाया था, ताकि थानेदारों के मन से भूत का डर समाप्त हो जाए और वह कार्यालय में बैठकर कामकाज कर सकें। लेकिन उनका यह प्रयास निरर्थक साबित हुआ।
स्थानीय लोगों का कहना है कि थाना प्रभारी के कार्यालय में एक मौलवी मौलाना बाबा की आत्मा निवास करती है, जिसकी करीब 20 साल पहले थाने से कुछ मीटर की दूरी पर सड़क हादसे में मौत हो गई थी। स्थानीय नागरिक दिलीप दुबे के अनुसार, कहा जाता है कि गम्भीर रूप से घायल बाबा कई घंटे तक पुलिस स्टेशन के पास पड़े रहे लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली और उनकी उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनकी आत्मा थाने में प्रभारी के कार्यालय में रहने लगी।
थाना प्रभारी उपेंद्र यादव ने इस घटना के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की और कहा, "मुझे नहीं पता कि यह कितना सही या गलत है। चूंकि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, इसलिए मैं इसका सम्मान करता हूं।" इस बारे में देवरिया के पुलिस अधीक्षक डी. के. चौधरी ने कहा, "समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है। जरूरत पड़ने पर प्रभारी कक्ष को दूसरे भवन में स्थानांतरित किया जा सकता है।"

Wednesday, August 10, 2011

खिलौने का शौक ऐसा, बनाया म्यूजियम!


उम्र 63 साल, लेकिन खिलौनों से खेलने का शौक अब भी बरकरार। ये हैं बैंक ऑफ बड़ौदा के सेवानिवृत्त कर्मी गोपाल खन्ना। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनके पास रंग-बिरंगे तथा कई प्रकार के खिलौनों का संग्रह है। कानपुर के आजाद नगर निवासी खन्ना के पास लकड़ी, चीनी मिट्टी, प्लास्टिक, कांच, चांदी, एल्युमीनियम, अष्टधातु, तांबा, ग्रेनाइट जैसी करीब 40 धातुओं के 2,000 से अधिक खिलौने हैं। उन्होंने कहा, "कुछ लोगों को इस उम्र में खिलौनों से मेरा प्रेम अटपटा लगता है, लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे खिलौनों के अपने संग्रह पर गर्व है। ज्यादातर लोग इसकी प्रशंसा ही करते हैं।"
उन्होंने अपने सारे खिलौने बहुत सम्भालकर रखे हैं। अपने एक कमरे में उन्होंने चारों तरफ खिलौने सजाकर रखे हैं। वह कहते हैं, "मुझे खिलौने जान से भी ज्यादा प्यारे हैं। मैं इनकी बहुत हिफाजत करता हूं। चीनी मिट्टी या कांच से बने खिलौनों के लिए मैंने एक खास तरह का आवरण बना रखा है।" खन्ना के खिलौनों के संग्रह में गाड़ियां, गुड़िया, वाद्ययंत्र, वन्यजीव जैसे कई प्रकार के रंग-बिरंगे खिलौने शामिल हैं। उनके पास चीन, अमेरिका, सिंगापुर, हांगकांग, ताइवान, इटली, फ्रांस सहित 12 अन्य देशों के विदेशी खिलौने भी हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा से तीन साल पहले सीनियर कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद से सेवानिवृत्त हुए खन्ना कहते हैं, "मुझे घूमने का बहुत शौक है। मैं देश के लगभग हर मशहूर और ऐतिहासिक महत्व वाले शहर का भ्रमण कर चुका हूं। सैर के दौरान मैंने उन शहरों से ये खिलौने खरीदे हैं।" हाल में ही उन्होंने अमेरिका से हजारों रुपये के खिलौने मंगाए हैं। उन्होंने कहा, "मेरा ध्यान कीमती खिलौनों पर नहीं होता, बल्कि मैं खिलौनों की सुंदरता और खासियत को तवज्जो देता हूं।"
खिलौनों प्रति खन्ना के लगाव को देखते हुए उनके मित्र और रिश्तेदार भी उपहारस्वरूप उन्हें खिलौना ही देते हैं। वह अपने खिलौनों को लेकर फिक्रमंद रहते हैं। उन्होंने कहा, "पांच से सात साल की मेरी दो पोती और एक पोता है। वे कभी-कभी खिलौनों की जिद करते हैं। बच्चों की भावनाओं का खयाल रखते हुए मैं उन्हें खिलौने दे तो देता हूं, लेकिन जब तक वे उनसे खेलते हैं, मैं उनकी निगरानी करता रहता हूं। वैसे मेरी कोशिश रहती है कि मैं उन्हें धातु वाले खिलौने दूं, ताकि टूटने का भय न रहे।"
खन्ना को खिलौने रखने का शौक बचपन से ही रहा है। उन्होंने बताया, "हम बचपन में जन्माष्टमी की झांकी सजाते थे, जिसमें मिट्टी और लकड़ी के खिलौने प्रयोग किए जाते थे। उन्हें देखना और उनके साथ खेलना इतना भाता था कि हर साल उन्हें सम्भालकर रखने लगे। यही शौक आगे बढ़ता चला गया, जो आज भी जारी है।"

Thursday, August 4, 2011

पति ने प्रेमी से करवाई पत्नी की शादी!


उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के विंध्याचल इलाके में पति ने अपनी पत्नी की शादी पुलिस और पंचायत के सामने करा दी और उसे विदा भी किया।


निगना इलाके के नेगुरा गांव की शकुन्तला की शादी इलाहाबाद के मेजा इलाके में हुई थी लेकिन उसके पहले से ही प्रेम सम्बन्ध थे। वह जब मायके आई तो अपने प्रेमी के साथ भाग गई। उसके पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। दोनों को पिछले 19 जुलाई को वाराणसी में बरामद किया गया।
पुलिस ने दोनों परिवार के लोगों को बुलाकर थाने में पंचायत कराई। महिला के पति ने कहा कि यदि वह अपने प्रेमी के साथ ही रहना चाहती है तो उसे कोई एतराज नहीं है। दोनों परिवार और पंचायत की सहमति से पुलिस की मौजूदगी में महिला की शादी उसके प्रेमी के साथ आज करा दी गई। चर्चा का विषय बनी इस शादी में बड़ी संख्या में गांव के लोग भी मौजूद थे।