बड़े-बड़े अपराधियों और नक्सलियों का सामना कर उनके छक्के छुड़ाने वाली वाली उत्तर प्रदेश पुलिस एक थाने के 'भुतहा कक्ष' से डरती है। डर इस कदर कि कोई उसमें जाना नहीं चाहता, जिसके कारण यह पिछले 10 साल से खाली पड़ा है। देवरिया जिले के तरकुलवा पुलिस थाने के प्रभारी (एसएचओ) का कार्यालय 2001 से ही बंद पड़ा है। कहा जाता है कि यहां एक मौलाना की आत्मा का वास है। जो भी इसमें काबिज होने की इच्छा करता है उसका नुकसान हो जाता है।
तरकुलवा थाने के वर्तमान प्रभारी उपेंद्र यादव ने कहा, "सालों से इसी डर के कारण कोई भी प्रभारी इस कक्ष में जाने की कोशिश नहीं करता। अपने पूर्व अधिकारियों की तरह मैं भी इस कक्ष का प्रयोग नहीं करता।" छह महीने पहले कानपुर से स्थानांतरित होकर यहां आए यादव सुसज्जित कार्यालय होने के बावजूद थाने के एक बरामदे में कुर्सी-मेज लगवाकर सरकारी कामकाज निपटाते हैं।
थाने के कर्मचारियों के मुताबिक, जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तरकुलवा थाने के प्रभारियों को कक्ष से कामकाज करने के लिए प्रोत्साहित करने की हरसम्भव कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। थाने के एक पुलिसकर्मी ने बताया कि पूर्व पुलिस अधीक्षक ने प्रभारी कक्ष को प्रेतात्मा से मुक्त कराने के लिए थाने में हवन और पूजा-पाठ भी करवाया था, ताकि थानेदारों के मन से भूत का डर समाप्त हो जाए और वह कार्यालय में बैठकर कामकाज कर सकें। लेकिन उनका यह प्रयास निरर्थक साबित हुआ।
स्थानीय लोगों का कहना है कि थाना प्रभारी के कार्यालय में एक मौलवी मौलाना बाबा की आत्मा निवास करती है, जिसकी करीब 20 साल पहले थाने से कुछ मीटर की दूरी पर सड़क हादसे में मौत हो गई थी। स्थानीय नागरिक दिलीप दुबे के अनुसार, कहा जाता है कि गम्भीर रूप से घायल बाबा कई घंटे तक पुलिस स्टेशन के पास पड़े रहे लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली और उनकी उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनकी आत्मा थाने में प्रभारी के कार्यालय में रहने लगी।
थाना प्रभारी उपेंद्र यादव ने इस घटना के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की और कहा, "मुझे नहीं पता कि यह कितना सही या गलत है। चूंकि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, इसलिए मैं इसका सम्मान करता हूं।" इस बारे में देवरिया के पुलिस अधीक्षक डी. के. चौधरी ने कहा, "समस्या के समाधान की कोशिश की जा रही है। जरूरत पड़ने पर प्रभारी कक्ष को दूसरे भवन में स्थानांतरित किया जा सकता है।"
No comments:
Post a Comment