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Tuesday, September 4, 2012

फिल्मों में दिखेगा सिगरेट का कश


फिल्मों में अक्सर सिगरेट के कश लगाने के दृश्य को लेकर विवाद होता रहा है, लेकिन आपको बता दें अब जल्द ही केन्द्र सरकार ऐसे दृश्यों की अनुमति प्रदान कर सकती है, हालांकि दृश्य से पहले धूम्रपान से होने वाले नुकसान की वैधानिक चेतावनी दिखाना अनिवार्य होगा। इस मसले पर मंगलवार को केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इस मामले में वो अधिसूचना जारी करने को तैयार है।
केंद्र सरकार फिल्मों में सिगरेट के कश लगाने के दृश्यों को अनुमति प्रदान कर सकती है। लेकिन ये तभी संभव हो सकेगा जब दृश्य से पहले धूम्रपान से होने वाले नुकसान से संबंधित वैधानिक चेतावनी प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा।  सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी. सदाशिवम और जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ के समक्ष सरकार ने कहा कि 14 सितंबर को यह अधिसूचना जारी होगी। केंद्र की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वी. शेखर ने कहा कि  अधिसूचना के तहत धूम्रपान के विरुद्ध चेतावनी फिल्म की शुरुआत, मध्यांतर और धूम्रपान के दृश्य के दौरान दिखानी होगी। अधिवक्ता शेखर ने कहा कि नई अधिसूचना उन सभी अधिसूचनाओं से ऊपर होगी जो धूम्रपान के दृश्य पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में पहले जारी की गई थी सर्वोच्च अदालत ने हालांकि  हीरोईन  फिल्म के प्रदर्शन की अनुमति के लिए छूट दिए जाने की दलील को अस्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई टाल दी। आपको बता दें कि इस फिल्म में नायिका के सिगरेट के कश लगाने के दृश्य हैं। निर्माता-निर्देशक इन्हें फिल्म में रखना चाहते हैं। लेकिन नई अधिसूचना के बाद धूम्रपान के ऐसे दृश्यों पर से रोक हट जाएगी।..फिल्म निर्माता महेश भट्ट की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 जनवरी, 2008 को केंद्र की ओर से अक्टूबर 2006 में जारी अधिसूचना को खारिज कर दिया था। इसमें फिल्मों और टेलीवीजन में धूम्रपान व तंबाकू संबंधी पदार्थ का सेवन दिखाने पर रोक लगा दी गई थी। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा था कि इस प्रकार के दृश्यों अर्थात सच्चाई को कानून के जरिए दिखाने से नहीं रोका जा सकता। यह संविधान के अनुच्छेद 19 में प्रदान अधिकारों का उल्लघंन है। हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि अच्छाई दिखाई जाती है तो नकारात्मक पहलुओं को भी दिखाना जरूरी है
वर्तमान में फिल्म और टेलीवीजन आज समाज का आइना बन गए हैं फिल्मों में जो दिखाया जाता है वो समाज में किसी न किसी रुप में घटित हो चुका होता है या फिर किसी सच्ची घटना पर आधारित होता है..तो फिर समाज को आइना दिखा देने से परहेज क्यों...और जब धूम्रपान और तंबाकू उत्पादों पर वैधानिक चेतावनी के बाबजूद आम आदमी इसका धडल्ले से इस्तेमाल कर रहा है तो फिर मात्र दृश्य में सच्चाई दिखा देने पर भी एतराज नहीं होना चाहिये...वहीं इस बात में भी दम है कि इस तरह के दृश्यों से युवा और बच्चों पर पड़ने वाले असर के आखिर क्या परिणाम होंगे?

Sunday, September 2, 2012

सपा विधायक की गुंडागर्दी


समाजवादी पार्टी की सरकार क्या आई सपा विधायकों और नेताओं की गुंडई और दबंगई शुरू हो गयी...कानपुर में भी इसी तरह की दबंगई और गुंडई की एक कहानी ने करीब 5000 छात्र छात्राओं के भविष्य को दांव पर लगा दिया है....
कानपुर का एक स्कूल...जिस स्कूल के बच्चों को अपनी पढ़ाई लिखाई के लिये "वी वांट जस्टिस" के नारे लगाने पड़ रहे हैं ..और उसके परिसर में स्कूली ड्रेस पहने स्कूल के सैकड़ों छात्र छात्राएं...हाथों में किताबे पेन और कापियों की जगह पोस्टर और बैनर....और गूंजती हुई आवाजें और नारे...पूरे स्कूल में अफरा तफरी का माहौल.. और मैनेजमेंट के बीच तीखी नोंक झोंक...और कहीं रोती बिलखती स्कूल की प्रिंसिपल... जी हाँ ! कुछ ऐसा ही नज़ारा है इस वक़्त कानपुर के हलीम मुस्लिम इंग्लिश स्कूल का....यहाँ पढाई के बजाय हंगामा बरपा है और वह भी तब जब छात्र छात्राओं के "होम इग्जाम" चल रहे हैं...और इस सबकी वजह है कानपुर के सपा विधायक हाजी इरफ़ान सोलंकी की दबंगई और गुंडई....सपा विधायक ने प्रदेश सरकार की हनक और प्रशासन की मदद से इस हलीम मुस्लिम इंग्लिश स्कूल पर अपना कब्जा कर लिया है...
केवल इतना ही नहीं इस कब्जे के बाद स्कूल की मौजूदा प्रिंसिपल शैला वली और मैनेजर इरशाद आलम को निकाल कर सपा विधायक ने अपने चचा मेराज सोलंकी को स्कूल का नया मैनेजर और भाई रिजवान सोलंकी को डिप्टी मैनेजर की कुर्सी भी सौंप दी और खुद स्कूल के मालिक की कुर्सी पर जम गये... बबाल तब बढ़ा जब छात्र छात्राओं और अभिभावकों को स्कूल पर सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी के कब्जा करने की बात पता चली....स्कूल खोला गया था लेकिन प्रिंसिपल के कमरे के बाहर प्रिंसिपल शैला वली को हटाये जाने का नोटिस और मैनेजर के कमरे के बाहर सपा विधायक के भाई और चाचा के नाम की नेम प्लेट लगी थी...स्कूल प्रशासन के कमरे में खुद सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी कुर्सी पर कब्जा जमाये बैठे थे....
यहाँ पर यह भी बताना ज़रूरी है कि कानपुर में हलीम मुस्लिम डिग्री कालेज, हलीम जुबली कालेज और हलीम मुस्लिम इंग्लिश स्कूल तीन ऐसे कालेज हैं जिन्हें कानपुर की मुस्लिम एसोसियेशन संचालित करती है....इन तीनों स्कूलों और कालेजों से होने वाली आमदनी ने मुस्लिम एसोसियेशन में भी "फूट" डाल दी और एसोसियेशन के दो गुट हो गये...एक गुट हाजी रिजवान उल्लाह का और दूसरा सपा विधायक इरफ़ान सोलंकी और उसके परिवार का.....हाजी रिजवान अभी तक स्कूल की बागडोर को हाथ में लिए ...दोनों गुट स्कूल पर अपना अपना कब्जा जताने की कोशिशों में लगे रहते हैं...इस को लेकर दोनों गुटों के बीच मामला "हाईकोर्ट" में भी विचाराधीन है...लेकिन इसी बीच सपा विधायक ने अपनी दबंगई के बल पर स्कूल पर कब्जा जमा लिया...यूपी में सपा की सरकार है सो विधायक इस दबंगई के आगे सरकार कुछ बोलने को तैयार नहीं और छात्रों भविष्य दांव पर हैं ।





रंग लाई प्रमोद कृष्णन की कोशिश


 गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की लडाई अब लखनऊ तक पहुंच गयी। गंगा मुक्ति संग्राम के प्रमुख प्रमोद कृष्णन ने लखनऊ आकर यहां मुस्लिम धर्मगुरुओँ से मुलाकात की। उन्होंने मु्स्लिम समाज से गंगा की लडाई में आने की अपील की । वहीं मुस्लिम धर्मगुरु गंगा समेत सभी प्राकृतिक संसाधनों के लिये एक अलग मंत्रालय की भी मांग की है। 
आचार्य प्रमोद कृष्णन और मुस्लिम धर्मगुरू यूं ही नहीं मिल रहे। उनके मिलने का मकसद देश की राष्ट्रीय नदी की बीमारी दूर करना है। इस मुद्दे पर  गंगा मुक्ति संग्राम काफी समय से काम कर रहा है । इसके प्रमुख आर्चाय कृष्णन ने मुस्लिम समाज को इस लडाई में आगे आने की अपील की। कहा बिना मुस्लिम समाज की भागेदारी गंगा का भला नहीं हो सकता। ऐसे में मुस्लिम समाज इस लडाई में शामिल ना होना बेइमानी होगी। साथ ही ये भी कहा कि मां बीमार है तो दोनो बच्चों को आगे आना ही होगा।
उत्तर प्रदेश के  मौलाना ने खुले दिल से आचार्य और उनके मुद्दे का स्वागत किया। कहा मुस्लिम समाज के लिये भी गंगा महत्वपूर्ण है। अगर गंगा नहीं रही तो सबका नुकसान होगा। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल  लॉ बोर्ड के सदस्य और शाही इमाम लखनऊ मौलाना खालिद रशीद ने तो इसके दो कदम आगे की बात कही।
उत्तर प्रदेश में शिया धर्मगुरुओं ने भी गंगा के महत्व पर हामी भरी। ये भी कहा कि हिंदुओं के लिये गंगा का धार्मिक महत्व है तो पानी का साफ और पाक होना मुस्लिम समाज में वजू के लिये भी जरुरी है। ऐसे में गंगा समेत सभी नदियों की हर लडाई में मुस्लिम हिंदुओँ के साथ हैं...
उत्तर प्रदेश के मौलानाओं ने साबित कर दिया कि छोटे छोटे झगडे एक तरफ जब बात मुल्क की हो तो सभी एक साथ है। शायद यही देश की गंगा जमुनी तहजीब है जिसके लिये लखनऊ का देश में अलग मुकाम है।