उम्र 63 साल, लेकिन खिलौनों से खेलने का शौक अब भी बरकरार। ये हैं बैंक ऑफ बड़ौदा के सेवानिवृत्त कर्मी गोपाल खन्ना। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनके पास रंग-बिरंगे तथा कई प्रकार के खिलौनों का संग्रह है। कानपुर के आजाद नगर निवासी खन्ना के पास लकड़ी, चीनी मिट्टी, प्लास्टिक, कांच, चांदी, एल्युमीनियम, अष्टधातु, तांबा, ग्रेनाइट जैसी करीब 40 धातुओं के 2,000 से अधिक खिलौने हैं। उन्होंने कहा, "कुछ लोगों को इस उम्र में खिलौनों से मेरा प्रेम अटपटा लगता है, लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे खिलौनों के अपने संग्रह पर गर्व है। ज्यादातर लोग इसकी प्रशंसा ही करते हैं।"
उन्होंने अपने सारे खिलौने बहुत सम्भालकर रखे हैं। अपने एक कमरे में उन्होंने चारों तरफ खिलौने सजाकर रखे हैं। वह कहते हैं, "मुझे खिलौने जान से भी ज्यादा प्यारे हैं। मैं इनकी बहुत हिफाजत करता हूं। चीनी मिट्टी या कांच से बने खिलौनों के लिए मैंने एक खास तरह का आवरण बना रखा है।" खन्ना के खिलौनों के संग्रह में गाड़ियां, गुड़िया, वाद्ययंत्र, वन्यजीव जैसे कई प्रकार के रंग-बिरंगे खिलौने शामिल हैं। उनके पास चीन, अमेरिका, सिंगापुर, हांगकांग, ताइवान, इटली, फ्रांस सहित 12 अन्य देशों के विदेशी खिलौने भी हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा से तीन साल पहले सीनियर कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद से सेवानिवृत्त हुए खन्ना कहते हैं, "मुझे घूमने का बहुत शौक है। मैं देश के लगभग हर मशहूर और ऐतिहासिक महत्व वाले शहर का भ्रमण कर चुका हूं। सैर के दौरान मैंने उन शहरों से ये खिलौने खरीदे हैं।" हाल में ही उन्होंने अमेरिका से हजारों रुपये के खिलौने मंगाए हैं। उन्होंने कहा, "मेरा ध्यान कीमती खिलौनों पर नहीं होता, बल्कि मैं खिलौनों की सुंदरता और खासियत को तवज्जो देता हूं।"
खिलौनों प्रति खन्ना के लगाव को देखते हुए उनके मित्र और रिश्तेदार भी उपहारस्वरूप उन्हें खिलौना ही देते हैं। वह अपने खिलौनों को लेकर फिक्रमंद रहते हैं। उन्होंने कहा, "पांच से सात साल की मेरी दो पोती और एक पोता है। वे कभी-कभी खिलौनों की जिद करते हैं। बच्चों की भावनाओं का खयाल रखते हुए मैं उन्हें खिलौने दे तो देता हूं, लेकिन जब तक वे उनसे खेलते हैं, मैं उनकी निगरानी करता रहता हूं। वैसे मेरी कोशिश रहती है कि मैं उन्हें धातु वाले खिलौने दूं, ताकि टूटने का भय न रहे।"
खन्ना को खिलौने रखने का शौक बचपन से ही रहा है। उन्होंने बताया, "हम बचपन में जन्माष्टमी की झांकी सजाते थे, जिसमें मिट्टी और लकड़ी के खिलौने प्रयोग किए जाते थे। उन्हें देखना और उनके साथ खेलना इतना भाता था कि हर साल उन्हें सम्भालकर रखने लगे। यही शौक आगे बढ़ता चला गया, जो आज भी जारी है।"
अरे वाह यह कमाल किया है....थैंक्स आपने खन्ना अंकल के बारे बताया ....
ReplyDelete