ना तीर न तलवार से मरती है सच्चाई!
जितना दबाओ उतना उभरती है सच्चाई!
ऊँची उड़ान भर भी ले कुछ देर को फ़रेब!
आख़िर में उसके पंख कतरती है सच्चाई!
बनता है लोह जिस तरह फ़ौलाद उस तरह!
शोलों के बीच में से गुज़रती है सच्चाई!
सर पर उसे बैठाते हैं जन्नत के फ़रिश्ते!
ऊपर से जिसके दिल में उतरती है सच्चाई!
जो धूल में मिल जाय, वज़ाहिर, तो इक रोज़!
बाग़े-बहार बन के सँवरती है सच्चाई!
रावण की बुद्धि, बल से न जो काम हो सके!
वो राम की मुस्कान से करती है सच्चाई!
जितना दबाओ उतना उभरती है सच्चाई!
ऊँची उड़ान भर भी ले कुछ देर को फ़रेब!
आख़िर में उसके पंख कतरती है सच्चाई!
बनता है लोह जिस तरह फ़ौलाद उस तरह!
शोलों के बीच में से गुज़रती है सच्चाई!
सर पर उसे बैठाते हैं जन्नत के फ़रिश्ते!
ऊपर से जिसके दिल में उतरती है सच्चाई!
जो धूल में मिल जाय, वज़ाहिर, तो इक रोज़!
बाग़े-बहार बन के सँवरती है सच्चाई!
रावण की बुद्धि, बल से न जो काम हो सके!
वो राम की मुस्कान से करती है सच्चाई!
नोट:-इस रचना के मूल रचनाकार का नाम कवि श्री उदय
प्रताप जी है ! जैसा कि कुछ वरिष्ठ ब्लोगरों ने भी ज़िक्र
किया है !
प्रताप जी है ! जैसा कि कुछ वरिष्ठ ब्लोगरों ने भी ज़िक्र
किया है !
भाई जी
ReplyDeleteयह कविता तो कवि श्री उदय प्रताप जी की है...आपने कवि का नाम नहीं दिया और न यह कहा कि यह आपकी नहीं है ...तो प्रतीत होता है कि जैसे आपने ही लिखी है.
कृपया स्पष्ट कर दें पोस्ट में ही. वही स्वस्थ परम्परा है.
अनेक शुभकामनाएँ.
`न तीर न तलवार से मरती है सचाई ' नामक कविता वरिष्ठ बुजुर्ग सांसद कवि श्री उदय प्रताप जी की है जिसे मैंने रामलीला मैदान के काण्ड वाले दिन यहाँ - http://hindibharat.blogspot.com/2011/06/blog-post_05.html
ReplyDeleteप्रकाशित किया था |
यहाँ इसे चोरी से व कवि का नाम हटा कर छाप दिया गया है अतः विदित हो कि उक्त `सच बोले तो' ब्लॉग झूठ पर केन्द्रित है और रचनाएँ चोरी कर के अपने नाम से छाप रहा है.
इस लिंक से रिफ्रेन्स ले लिजिये:
ReplyDeletehttp://hindibharat.blogspot.com/2011/06/blog-post_05.html
आदरणीय श्री
ReplyDeleteउड़न तश्तरी जी और
डॉ.कविता वाचक्नवी जी
सबसे पहले तो ब्लॉग पर आने के लिए आपका हार्दिक आभार!
अब बात सांसद कवि श्री उदय प्रताप जी की इस कविता की..
मुझे नहीं पता था कि ये कविता उनकी लिखी हुई है.
मेरे एक दोस्त ने मुझे इ-मेल कर मुझसे इसे
मेरे ब्लॉग पर लगाने की ज़िद की तो मैंने इसे
लगा दिया!
जहाँ तक चोरी का सवाल है तो ये आरोप बिलकुल ग़लत है!
मेरा दोष सिर्फ इतना है कि मैं अपने दोस्त की बातों में आ गया!
वर्ना मुझे दूसरों की लिखी रचनाओं को अपने ब्लॉग पर लगाने
का शौक बिलकुल नहीं है. वैसे भी ब्लोगिंग में, मैं अभी नया हूँ
और मुझे इसमें पैर ज़माने के लिए काफी समय है तो फिर
मैं दूसरों की रचनाएं क्यों चोरी करूंगा!
डॉ.कविता वाचक्नवी जी अगर आप थोडा सोचकर
कमेन्ट करती तो शायद इतनी कडवी बात न लिखती!
चलिए कोई बात नहीं आप बड़ी है . आगे से मैं इस बात का
ध्यान रखूँगा कि मेरे ब्लॉग पर सिर्फ मेरी ही रचनाएँ
लगे ! उड़न तश्तरी जी आप निश्चित रहे ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी१
ब्लॉग पर आगे भी आते रहिएगा! धन्यवाद !
आदरणीय उड़नतश्तरी जी!
ReplyDeleteलिंक देने के लिए आपका धन्यवाद!
यक़ीन मानिए मुझे इस रचना के
रचनाकार का नाम नहीं पता था!
चूँकि मैं अभी नया हूँ इसीलिए मुझ से ये भूल हो गई !
नोट- मैंने रचनाकार का नाम लिख दिया है!
गलती इन्शान से ही होती है इसलिए और जो अपने गलती मान लेता है ओ गलत नहीं होता इसलिय मेरे देखने में आप सही है मेरी शुभ कामनाएं आप के साथ हैं
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 12 अक्टूबर 2019 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!