राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह का राजनीतिक सफर सत्ता में बने रहने की जोड़ तोड़ से भरा रहा है....उनके राजनीतिक सफर पर नजर डालते हैं...
वो सत्ता में बना रहना जानते हैं....उनका न कोई दोस्त है न दुश्मन....वो गठबंधन राजनीति के माहिर हैं...जी हां राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह का राजनीतिक करियर इस बात की गवाही देता है कि राजनीतिक फायदे के लिए वो किसी भी दल के साथ दोस्ती कर सकते हैं और फिर उसी दल से दुश्मनी भी रख सकते हैं....
पूर्व प्रधानमंत्री चौ.चरण सिंह के बेटे अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 को यूपी के मेरठ जिले के भडोला गांव में हुआ था...राजनीति में आने से पहले अजित सिंह ने 17 सालों तक अमेरिका में कंप्यूटर इंटस्ट्री में काम किया....राजनीति में अजित सिंह ने 1986 में कदम रखा...अजित सिहं ने अपने राजनीतिक सफर में कितनी बार पलटी मारी किस-किस का साथ छोड़ा और किस का हाथ थामा...इसका ठीक-ठीक रिकॉर्ड बताने में तो शायद बड़े-बड़े राजनीतिक विशेषज्ञों के पसीने छूट जाएं........लेकिन फिर भी हम आपको कुछ आसानी से ये रिकॉर्ड समझाने की कोशिश करते हैं.........
अजित सिंह ने तीन बार नई पार्टी बनाई.... लोकदल अजित, भारतीय कामगार किसान पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल.....अजित सिंह 1988 में अपनी पार्टी लोकदल अजित के साथ जनता पार्टी में शामिल हुए...इसके बाद जब जनता दल बना तो वो जनता दल के महासचिव बन गए....1995 में जनता दल में फूट कराकर कांग्रेस में शामिल हो गए....
केंद्र में मंत्रिपद की बात करें तो...अजित सिंह केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में उद्योग मंत्री रहे....नरसिम्हा राव की सरकार में खाद्य मंत्री रहे, एनडीए सरकार में कृषि मंत्री रहे...फिलहाल यूपीए सरकार में नागरिक उड्ड़यन मंत्री हैं...हम आपको ये भी बता दें कि लोकसभा का 2009 का चुनाव उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था...
बात उत्तर प्रदेश की करें तो उन्होने 2001 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा इसी का इनाम था एनडीए सरकार में कृषि मंत्री का पद.... उन्होंने यूपी में बीजेपी-बीएसपी सरकार को समर्थन दिया...और दो सालों के अंदर ही सरकार से अपना समर्थन वापिस ले लिया जिसके चलते राज्य में बीएसपी सरकार गिर गई...इसके बाद राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो अजित सिंह मुलायम सिंह यादव के साथ हो लिए....कुछ समय तक समर्थन दिया फिर मुलायम को भी कह दिया टाटा-बाय बाय....
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