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Thursday, August 30, 2012

बच्चों ने डीएम से इचिछा मृत्यु की मांग की


कन्नौज के जिलाधिकारी के दफ्तर में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर कोई भी शर्म से अपना सिर झुका ले। दरअसल यहां के 6 बच्चों ने डीएम से इच्छामृत्यु की मांग की है। ढाई साल पहले इन बच्चों की मां एक हादसे में चल बसी। इसके बाद बीमा की रकम हांसिल करने के लिए इनहोने हर सरकारी दफ्तर के चक्कर काटे लेकिन राशि नहीं मिली। हर तरफ से निराश होकर इन बच्चों ने डीएम से इचिछा मृत्यु की मांग की।
यूपी के कन्नौज के डीएम ऑफिस के बाहर खड़े ये बच्चे डीएम के जनता दरबार में अपनी गुहार लेकर आए थे। लेकिन इनहे डीएम की तरफ से कोई मदद मिलना तो दूर बलकि जेल भेजने की धमकी मिल गई। दरअसल इनकी गुहार को सुनकर पहले तो डीएम साहब का कलेजा ही कांप गया और इसके बाद जिसने भी इनकी आप बीती सुनी वो अफसोस के सिवाय कुछ नहीं कर सका। इन बच्चों पर मुसीबत का पहाड़ उस वक्त टूटा। जब इनकी मां की मौत ढाई साल पहले एक हादसे में हो गई। उस वक्त मां ही इनका पालन करती थी। मां की मौत के बाद इन बच्चों ने बीमा की राशि को हांसिल करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने सुर कर दिए। लेकिन इनहे कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली। लिहाजा घर में भूकों मरने की नौबत आ गई। थक हारकर इनहोने डीएम से इच्छा मृत्यु देने की मांग कर डाली। जिस पर डीएम साहब भड़क उठे और इनहे जेल में डालने की धमकी दे डाली।
कन्नौज के बैसापुर पट्टी गांव के रहने वाले इन बच्चों का कहना है कि इनकी मां मजदूरी करके घर का खर्च चलाती थी। मां की मौत के बाद इनके सामने पेट भरने के भी लाले पड़ गए। लिहाजा इनहोने मां के इंशयोरेंस के पैसे लेने चाहे। लेकिन सरकारी सिस्टम के चलते पैसा मिलना तो दूर इनसे पाइल आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत की मांग होने लगी।
थक हारकर इन बच्चों ने डीएम से गुहार लगाई। लेकिन इनकी कहानी सुनकर डीएम का दिल नहीं पसीजा बलकि डीएम साहब खुद बच्चों के जेल भेजने की दमकी देने लगे। हालांकि डीएम के जनता दरबार में मौजूद हर शख्स की आंख में बच्चों की कहानी सुनकर आंसू छलक आए। अब सवाल ये खड़ा होता है कि गांव के प्रधान ढाई साल से कहां तो और उन्होने बच्चों के लिए क्या किया। साथ ही क्या जिले के एक जिम्मेदार और आला अफसर को इतने गंभीर मामले पर इस तरह के बर्ताव का क्या हक है। फिलहाल बच्चों को अब किसी से भी आस नहीं रही है और उनका कहना है कि अब मौत को गले लगाने के सिवाय उनके पास कोई चारा नहीं है।

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