प्रदेश सरकार की तमाम कोशिशें के बावजूद आतंकी संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन की जड़े मध्यप्रदेश में गहरी होती जा रही हैं। सफदर नागौरी और अबु फैजल जैसे आतंकियों के पकडे़ जाने के बाद सिमी ने प्रदेश में साइलेंट सेल का गठन कर लिया है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के हाथ एक खुफिया जानकारी लगी है। जिसके अनुसार सिमी से जुडे़ लोगों ने बंगाल,उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में चलाई जा रही अपनी गतिविधियों को सीमित करते हुए मध्यप्रदेश को अपना नया गढ़ बनाने पर काम शुरू कर दिया है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2008 के देशभर में सिमी और आई एम के सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश में सामने आए है।इंदौर में वर्ष 2001 से 2008 तक कुल 27 प्रकरण दर्ज किये गये है। इनमें से इंदौर के एरोड्रम थाने में दो,एम जी रोड में चार,खजराना में 7,छोटी ग्वालटोली में 9, संयोगितागंज जूनी और सराफा में एक-एक और सदर बाजार में दो मामले दर्ज किये गये।वर्ष 2008 में इंदौर के श्याम नगर से सिमी सरगना सफदर नागौरी सहित 13 हार्डकोर आतंकियों के पकडे़ जाने के बाद प्रदेश और इंदौर में सिमी के बडें नेटवर्क का पर्दाफाष हुआ था। तब से यह माना जा रहा था कि देशभर में सिमी कि कमर तोड़ दी गयी है, लेकिन खजराना से गुजरात ब्लास्ट के आरोपियों सहित 5 सिमी सदस्यों की गिरफ्तारी ने यह भ्रम तोड़ दिया है।खुफिया एजेंसियों ने जो जानकारी केन्द्रीय गृह मंत्रालय को दी है वह चैकाने वाली है। गृह मंत्रालय की माने तो उत्तर पूर्व और बंगाल से सिमी और आई एम ने अपना लगभग समेट लिया है। आजमगढ़ और अलीगढ़ में अब सिमी की हार्डकोर युनिट की आवाजाही लगभग समाप्त हो गयी है। उत्तर प्रदेश में सदस्यो के लिए चलाए जाने वाले प्रषिक्षण कैंप को मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ट्रास्फर किया जा रहा है। उधर पश्चिम बंगाल में भी बीते 2 वर्षो में सिमी की कोई गतिविधि सामने नही आई है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के हाथ एक खुफिया जानकारी लगी है। जिसके अनुसार सिमी से जुडे़ लोगों ने बंगाल,उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में चलाई जा रही अपनी गतिविधियों को सीमित करते हुए मध्यप्रदेश को अपना नया गढ़ बनाने पर काम शुरू कर दिया है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2008 के देशभर में सिमी और आई एम के सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश में सामने आए है।इंदौर में वर्ष 2001 से 2008 तक कुल 27 प्रकरण दर्ज किये गये है। इनमें से इंदौर के एरोड्रम थाने में दो,एम जी रोड में चार,खजराना में 7,छोटी ग्वालटोली में 9, संयोगितागंज जूनी और सराफा में एक-एक और सदर बाजार में दो मामले दर्ज किये गये।वर्ष 2008 में इंदौर के श्याम नगर से सिमी सरगना सफदर नागौरी सहित 13 हार्डकोर आतंकियों के पकडे़ जाने के बाद प्रदेश और इंदौर में सिमी के बडें नेटवर्क का पर्दाफाष हुआ था। तब से यह माना जा रहा था कि देशभर में सिमी कि कमर तोड़ दी गयी है, लेकिन खजराना से गुजरात ब्लास्ट के आरोपियों सहित 5 सिमी सदस्यों की गिरफ्तारी ने यह भ्रम तोड़ दिया है।खुफिया एजेंसियों ने जो जानकारी केन्द्रीय गृह मंत्रालय को दी है वह चैकाने वाली है। गृह मंत्रालय की माने तो उत्तर पूर्व और बंगाल से सिमी और आई एम ने अपना लगभग समेट लिया है। आजमगढ़ और अलीगढ़ में अब सिमी की हार्डकोर युनिट की आवाजाही लगभग समाप्त हो गयी है। उत्तर प्रदेश में सदस्यो के लिए चलाए जाने वाले प्रषिक्षण कैंप को मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ट्रास्फर किया जा रहा है। उधर पश्चिम बंगाल में भी बीते 2 वर्षो में सिमी की कोई गतिविधि सामने नही आई है।
साइलेंट सेल की जानकारी सामने आने के बाद प्रदेश और इंदौर उज्जैन क्षेत्र में खुफिया एजेंसियों की गतिविधिया तेज हो गयी है। इंदौर उज्जैन संभाग के 83 ऐसे व्यक्ति चिन्हित किए है। जो सिमी से जुडे़ है आक्र उसे मदद पहुचा रहे है। इनमें से अकेले इंदौर के ही 22 लोग है। और उज्जैन,शाजापुर,आगर के 61 लोगो की भूमिका की भी बारीकी से जाच की जा रही है। शाजापुर जिले सिमी के लिए काम करने वाले पांच,खंडवा के दस,बुरहानपुर के चार,खरगोन के दो,जबलपुर के 15,भेपाल के 4,राजगढ़ के 2,नीमच के 6,सिवनी के 2 लोगों को चिन्हित किया गया है। जब साधना न्यूज ने इंदौर आए राज्य के पुलिस महानिदेषक संतोष कुमार राउत से सिमी के बारे में जानकारी चाही तो उन्होनं माना कि राज्य में सिमी संगठन से जुडे़ लोग सक्रिय है।
पुलिस की तमाम कोशिशें के बावजूद आतंकी संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन की जड़े मध्यप्रदेश में गहरी होती जा रही है।
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