जेल की दुनिया आखिर कैसी होती है... सच तो ये
है कि तिहाड़ की दीवारों के पीछे एक अलग ही दुनिया बसती हैं.. मुल्ज़िमों और
गुनहगारों की वो दुनिया जिसमें रिहाई की उम्मीद ही इंसान को ज़िंदा रहने की ताकत
देती है। शायद उम्मीद की इसी ताकत को रामसिंह खो बैठा था। आइये आपको बताएं कैसी
होती है जेल की ज़िंदगी, क्या होता है कैदियों का रुटीन।
एशिया की सबसे बड़ी
जेल.. तिहाड़ जेल। देश की सबसे सुरक्षित जेल... तिहाड़ जेल। इस जेल में हजारों की
तादात में मौजूद हवालाती और कैदी सालभर मौजूद होते हैं.. अपना काम करते करते वो
इसी उम्मीद में दिन काटते हैं कि एक दिन उनको भी रहाई नसीब होगी... एक दिन वो भी
जेल की इन सलाखों से आज़ाद होंगे... कुछ बरी होकर तो कुछ अपनी सज़ा काटकर।
आइये अब आपको बताएं
क्या होता है तिहाड़ जेल में कैदियों का रुटीन।
कैदियों
का नाश्ता
कैदियों के बैरकों
को रोज़ाना सुबह 6 बजे खोला जाता है। इस दौरान तमाम कैदियों को एक एक कर गिना जाता
है। और फिर उनकी संख्या को कागज़ पर मौजूद कैदियों की कुल तादात से मिलाया जाता
है। इसके करीब 40 मिनट बाद कैदियों को चाय-ब्रेड और भुने हुए चने का नाश्ता दिया
जाता है।
कैदियों
की सुबह
नाश्ते के बाद वो कैदी
जिनकी अदालत में तारीख होती है उन्हें जेल की बस में अदालतों को भेज दिया जाता है।
बाकी के ज्यादातर कैदी काम में जुट जाते हैं.. कुछ जेल प्रशासन द्वारा दिए गए काम
जैसे कैंटीन चलाने और जेल की फैक्ट्रियों में काम करने में जुट जाते हैं कुछ जेल
की साफ सफाई और बागवानी के काम में जुट जाते हैं। 12 बजे तक कैदी इन्हीं कामों में
लगे रहते हैं।
कैदियों
का लंच
करीब साढ़े ग्यारह
बजे कैदियों को दोपहर का खाना दिया जाता है इस दौरान कैदियों को एक सब्ज़ी एक दाल,
चार रोटियां और चावल दिए जाते हैं।
कैदियों
की दोपहर
इसके बाद दोपहर के
करीब 12 बजे कैदियों को एक बार फिर से उनके बैरकों में बंद कर दिया जाता है। इस
दौरान एक बार फिर से सभी कैदियों को गिना जाता है। लगभग सभी कैदी शाम चार बजे तक
इसी तरह अपने अपने बैरकों में बंद रहते हैं। इस दौरान वो या तो सोते हैं या फिर
टीवी देखते हैं।
कैदियों
की शाम
शाम करीब 4 बजे एक
बार फिर से कैदियों के बैरकों को खोला जाता है। इस दौरान कैदियों को अपने अपने
वॉर्ड में टहलने दिया जाता है। इसके बाद शाम करीब 6 बजे कैदियों को फिर से बैरकों
में लौटने को कहा जाता है इस दौरान फिर से कैदियों को गिना जाता है। ऐसे ही
रामसिंह भी रविवार की रात अपने बैरक में बंद हुआ था लेकिन अगली सुबह नहीं देख सका
उसने खुदकुशी की या उसकी हत्या हुई ये जानने के लिए अब सभी को उसकी पोस्ट मॉर्टम
रिपोर्ट का इंतज़ार है।
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