उत्तर प्रदेश में लैपटॉप के मुद्दे
पर एसपी और बीएसपी आमने-सामने है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी चुनावी घोषणा को
अंजाम देने में तेजी से जुटे हैं...तो मायावती कह रही हैं कि सरकार लोगों का ध्यान
...खराब लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे से हटाने
के लिए लैपटॉप बांटने में जुटी है। उत्तर प्रदेश में एसपी सरकार लैपटॉप बांटने की
योजना को तेज़ी से आगे बढ़ाने में जुटी है। लखनऊ में एक दिन में 19 हजार लैपटॉप
बांटे गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री अखिलेश के बोल बता रहे थे..कि एक हाथ से लैपटॉप
बांटने का दूसरे हाथ से वोट बटोरने से सीधा वास्ता है। एक तरफ सीएम लखनऊ में एक के
बाद एक कार्यक्रमों में शिरकत कर लैपटॉप बांटने में जुटे थे..तो दूसरी तरफ बीएसपी
सुप्रीमो उन पर गिन-गिन कर निशाने साध रही थी. मायावती ने कहा कि लैपटॉप बांटने का
दिखावा ज्यादा हो रहा है..और इसमें भी भेदभाव किया जा रहा है।
मायावती के आरोपों पर पलटवार में अखिलेश ने
देरी नहीं की. एक तरफ नेता लैपटॉप पर एक दूसरे को लपेट रहे हैं..तो दूसरी तरफ इसे
हासिल करने वाले छात्र और छात्राएं खुश हैं..चलो सरकार ने कुछ तो दिया...जो दिया
वही क्या कम है...
सच बोले तो
Saturday, July 27, 2013
Monday, June 10, 2013
मन्ना डे की तबीयत में पहले से सुधार
94 वर्षीय मन्ना डे की तबीयत में पहले से सुधार है..उन्हे फेफड़े में संक्रमण की शिकायत के बाद बेंगलुरु के अस्पताल में भर्ती कराया गया है..इससे पहले कुछ हफ्तों से घर पर ही उनका इलाज चल रहा था... अपने सात दशक लंबे करियर में उन्होने हिंदी और बंगाली सहित विभिन्न भाषाओं में 3,500 से अधिक गाने गाए हैं..
Monday, March 11, 2013
देश की सबसे सुरक्षित जेल में ये क्या हुआ
सोमवार सुबह दिल्ली की तिहाड़
जेल में दिल्ली गैंगरेप केस का आरोपी रामसिंह फंदे पर झूलता पाया गया। इस घटना के बाद सवाल उठा कि आखिर देश की सबसे सुरक्षित जेल में ये हुआ कैसे... शुरुआती तहकीकात कहती है कि रामसिंह ने बैरक में लगे रोशनदान की ग्रिल और कपड़ों के जरिये अपनी जिंदगी की रोशनी हमेशा के लिए बुझा दी.... लेकिन तिहाड़ प्रशासन ये
बताने की हालत में नहीं है कि जब रामसिंह ने दम तोड़ा तब जेलकर्मी कहां और क्या कर
रहे थे।
दिन सोमवार
वक्त सुबह 5.45 बजे
तिहाड़ जेल
दिन ठीक से निकला
भी नहीं था कि तिहाड़ की ऊंची दीवारों के पीछे सनसनी फैल गई। कुछ लम्हों बाद छनकर ये
खबर बाहर आई कि दिल्ली गैंगरेप के आरोपी रामसिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली। चार लाइनों
में लिखी तिहाड़ प्रशासन की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक
तिहाड़ प्रशासन को रामसिंह की मौत की खबर सुबह 5.45 बजे मिली
सुबह कैदियों के बैरक खोलने पहुंचे हेड वॉर्डन ने रामसिंह को टंगे देखा
रामसिंह बैरक के रोशनदान से दरी, नाड़े और कपड़ों से बने फंदे से झूल
रहा था
तिहाड़
की
जेल नम्बर तीन में 25 सेल हैं और इन्हीं 25 में से एक में रामसिंह को तीन और कैदियों के साथ रखा गया था... सुबह करीब पांच बजकर 45 मिनट पर सुरक्षा गार्ड की सेल में निगाह पड़ी तो फांसी के फंदे पर लटकी रामसिंह की लाश नजर आई... रामसिंह की मौत मौत की खबर मिलते ही जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया... दिल्ली पुलिस से लेकर दिल्ली सरकार और गृहमंत्रालय को वारदात की जानकारी दे दी गई... सवाल उठा कि आखिर कैसे कोई कैदी बेहद सुरक्षित जेल की सेल में फांसी लगा सकता है... फौरन जेल में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एक टीम और फोरेंसिक एक्सपर्टस टीम को बुलाया गया ताकि सुसाइड का सच सामने आ सके
रौशनदान की ग्रिल
से लटकर दी जान
मौका
मुआयना करने के बाद सामने आया कि रामसिंह ने खुदकुशी करने के लिए बाल्टी, एक दरी, और अपने कपड़ों का इस्तेमाल किया.. जेल सूत्रों से मिल रही खबरों के मुताबिक जब अहले सुबह जेल में सारे कैदी गहरी नींद में सो रहे थे तो रामसिंह ने दरी के किनारे से एक लंबा पट्टा काटा.... और फिर उस पट्टे, अपने कपड़े और अंडरगारमेंटस के नाडें की मदद से उसने फांसी का फंदा बनाया....सेल में करीब 8 फिट की ऊंचाई पर एक रोशनदान था जहां तक पहुंचने के लिए रामसिंह ने बाल्टी का इस्तेमाल किया और फिर रोशनदान में लगी ग्रिल में फंदे का एक सिरा बांधकर दूसरा फंदा अपने गले में डाल लिया...और बाल्टी को ठोकर मारकर फंदे
पर झूल गया।
सुबह
करीब पौने छह बजे जब सेल के लोग जागे तब इस वारदात का खुलासा हुआ....रामसिंह की खुदकुशी की खबर ने जेल प्रशासन के होश उड़ा दिये....पूरा अमला इस बात की तहकीकात में जुट गया कि आखिर बेहद सुरक्षित घेरे के बावजूद रामसिंह ने खुदकुशी की तो की कैसे...
राम सिंह ने खुदकुशी क्यों की ?
राम सिंह के परिवार ने उसकी मौत को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं... राम सिंह
के पिता ने दो टूक कहा- मेरा बेटा मरा नहीं मारा गया है.. चार दिन पहले राम सिंह से
उन्होंने मुलाकात भी की थी... ये सवाल आज देश में हर किसी के मन में बार बार आ रहा
है... आखिर राम सिंह ने
खुदकुशी क्यों की...?
राम सिंह को जानने वालों के मुताबिक वो जिद्दी और अहंकारी था.. जेल जाने के बाद भी राम सिंह के चेहरे पर कभी पछतावे
की लकीर नहीं उभरी। जेल की कोठरी में वो चुप रहता था... सूत्रों के मुताबिक जेल के
अंदर उसने कभी नहीं कबूला कि उससे गलती हुई। जेल के अधिकारियों से भी उसने माफी की
बात नहीं की। जिस शख्स को अपनी गलती पर ज़रा भी पछतावा नहीं था आखिर उसने खुदकुशी क्यों
की ?
आखिर क्या वजह थी कि राम सिंह ने खुदकुशी का फैसला किया ?
खुदकुशी से पहले राम सिंह के दिमाग में क्या चल रहा था ?
खुदकुशी की पहली वजह
राम सिंह को तिहाड़ के जेल नं. 3 में रखा गया था.. संसद हमले के मुख्य आरोपी
अफजल को इसी जेल में फांसी दी गई थी.. सूत्र बताते हैं कि अफजल की फांसी के बाद से
राम सिंह बेहद डरा हुआ था.. उसे लग रहा था कि उसे भी फांसी दे दी जाएगी..
खुदकुशी की दूसरी वजह
राम सिंह को पता था दिल्ली गैंगरेप मामले की सुनवाई फार्स्ट ट्रैक कोर्ट में
चल रही है.. आरोप साबित होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। कानून में बदलाव की बात भी
चल रही है। ऐसे हालात में उसे डर सता रहा था कि आज नहीं तो कल फांसी से लटका दिया जाएगा
खुदकुशी की तीसरी वजह
गैंगरेप के आरोपियों के खिलाफ देश में जबरदस्त गुस्सा था..वैसा ही तिहाड़ के
अंदर भी था.. राम सिंह को जब तिहाड़ लाया गया
था तो कैदियों ने उसकी जमकर पिटाई कर डाली थी..उस वक्त भी राम सिंह और उसके साथियों
ने कहा था कि हम घुट-घुट कर मर रहे हैं। उन आरोपियों ने गुहार लगाई थी कि चाहे हमें
मौत की सजा दे दो लेकिन जेल से बाहर निकालो। इसे भी मौत की एक वजह माना जा रहा है।
खुदकुशी की चौथी वजह
तिहाड़ जेल के कैदी राम सिंह से नफरत करते थे.. राम सिंह को गालियां दी जाती
थी.. कई बार उसके साथ बुरी तरह मारपीट भी
हुई। सूत्रों की मानें तो इसके बाद से वो परेशान रहता था... उससे कोई बात नहीं
करता था.. राम सिंह तन्हाई की जिंदगी से उबता जा रहा था।
खुदकुशी की पांचवीं वजह
गैंगरेप के आरोपी राम सिंह के खिलाफ कैदी किसी हद तक जा सकते थे.. कैदियों
मे इतना गुस्सा था कि वो राम सिंह की जान ले सकते थे.. राम सिंह के पिता भी कहते हैं
कि उसका बेटा खुदकुशी नहीं कर सकता था। उसे मारा गया है।
बाइट- पिता
खुदकुशी की छठी वजह
कैदियों के गुस्से को देखते हुए राम सिंह को अलग वार्ड में शिफ्ट किया गया
था.. जहां वो तीन और कैदियों के साथ रहता था। लेकिन कोई भी कैदी उससे बातचीत नहीं करता
था..जिसकी वजह से राम सिंह काफी परेशान रहता था।
कौन है राम सिंह ?
पिछले पंद्रह महीने में तिहाड़ में तीन कैदी सुसाइड कर चुके हैं... लेकिन राम सिंह की खुदकुशी से ये मामला हाईलाइट
हुआ है। लोग जानना चाहते हैं कि राम सिंह कौन है ...
दिल्ली में पिछले साल 16 दिसंबर की जिस दर्दनाक
घटना ने पूरे देश को हिला दिया... एक लड़की के साथ जिस दरिंदगी पर पूरे देश का खून
खौल उठा... राम सिंह उसी शर्मनाक वारदात का सबसे मुख्य आरोपी था...
राम सिंह ही वो आरोपी था जिसने अदालत में कहा था कि उसने
बहुत बड़ा गुनाह किया है लिहाजा उसे फांसी दे दी जाए... उसके गुनाहों की सजा का इंतजार
अभी पूरा देश कर ही रहा था कि उसने ख़ुद ही अपनी जान दे दी...
16 दिसंबर की रात 23 साल की लड़की के साथ गैंगरेप
हुआ था... राम सिंह उस बस का ड्राइवर था... ये वो रात थी जब दिल्ली की सड़क पर चलती
बस में एक लड़की के साथ 6 लोगों ने गैंगरेप किया... बस में लड़की के साथ उसका दोस्त
भी मौजूद था... आरोपियों ने दोनों की बुरी तरह पिटाई की... फिर उस लड़की के साथ दरिंदगी
की सारी सीमा लांघकर वो सबकुछ किया, जिस पर
पूरा देश उबल पड़ा...
18 दिसंबर को राम सिंह को गिरफ़्तार कर लिया गया था... तब
से वो दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था... राम सिंह सबसे पहले पकड़ा गया था.. राम सिंह
का छोटा भाई मुकेश सिंह भी इस केस में आरोपी है.. वो भी तिहाड़ जेल में बंद है..
राम सिंह का पेशा क्या था ?
33 साल का राम सिंह बस ड्राइवर था। साल 2009 में
एक एक्सीडेंट में उसके हाथ में गंभीर चोट आई थी। डॉक्टरों ने उसके दोनों हाथ में रॉड
लगा दिया था. इसके बावजूद वो बस चलाता था।
दक्षिण दिल्ली की एक बस्ती में रहने वाले राम सिंह के
बारे में कहा जाता है कि वो अक्सर शराब पीता था। शराब के नशे में वो मारपीट और गालीगलौज
भी करता था। इलाके के लोग उससे परेशान रहते थे।
जेल की दुनिया आखिर कैसी होती है...!
जेल की दुनिया आखिर कैसी होती है... सच तो ये
है कि तिहाड़ की दीवारों के पीछे एक अलग ही दुनिया बसती हैं.. मुल्ज़िमों और
गुनहगारों की वो दुनिया जिसमें रिहाई की उम्मीद ही इंसान को ज़िंदा रहने की ताकत
देती है। शायद उम्मीद की इसी ताकत को रामसिंह खो बैठा था। आइये आपको बताएं कैसी
होती है जेल की ज़िंदगी, क्या होता है कैदियों का रुटीन।
एशिया की सबसे बड़ी
जेल.. तिहाड़ जेल। देश की सबसे सुरक्षित जेल... तिहाड़ जेल। इस जेल में हजारों की
तादात में मौजूद हवालाती और कैदी सालभर मौजूद होते हैं.. अपना काम करते करते वो
इसी उम्मीद में दिन काटते हैं कि एक दिन उनको भी रहाई नसीब होगी... एक दिन वो भी
जेल की इन सलाखों से आज़ाद होंगे... कुछ बरी होकर तो कुछ अपनी सज़ा काटकर।
आइये अब आपको बताएं
क्या होता है तिहाड़ जेल में कैदियों का रुटीन।
कैदियों
का नाश्ता
कैदियों के बैरकों
को रोज़ाना सुबह 6 बजे खोला जाता है। इस दौरान तमाम कैदियों को एक एक कर गिना जाता
है। और फिर उनकी संख्या को कागज़ पर मौजूद कैदियों की कुल तादात से मिलाया जाता
है। इसके करीब 40 मिनट बाद कैदियों को चाय-ब्रेड और भुने हुए चने का नाश्ता दिया
जाता है।
कैदियों
की सुबह
नाश्ते के बाद वो कैदी
जिनकी अदालत में तारीख होती है उन्हें जेल की बस में अदालतों को भेज दिया जाता है।
बाकी के ज्यादातर कैदी काम में जुट जाते हैं.. कुछ जेल प्रशासन द्वारा दिए गए काम
जैसे कैंटीन चलाने और जेल की फैक्ट्रियों में काम करने में जुट जाते हैं कुछ जेल
की साफ सफाई और बागवानी के काम में जुट जाते हैं। 12 बजे तक कैदी इन्हीं कामों में
लगे रहते हैं।
कैदियों
का लंच
करीब साढ़े ग्यारह
बजे कैदियों को दोपहर का खाना दिया जाता है इस दौरान कैदियों को एक सब्ज़ी एक दाल,
चार रोटियां और चावल दिए जाते हैं।
कैदियों
की दोपहर
इसके बाद दोपहर के
करीब 12 बजे कैदियों को एक बार फिर से उनके बैरकों में बंद कर दिया जाता है। इस
दौरान एक बार फिर से सभी कैदियों को गिना जाता है। लगभग सभी कैदी शाम चार बजे तक
इसी तरह अपने अपने बैरकों में बंद रहते हैं। इस दौरान वो या तो सोते हैं या फिर
टीवी देखते हैं।
कैदियों
की शाम
शाम करीब 4 बजे एक
बार फिर से कैदियों के बैरकों को खोला जाता है। इस दौरान कैदियों को अपने अपने
वॉर्ड में टहलने दिया जाता है। इसके बाद शाम करीब 6 बजे कैदियों को फिर से बैरकों
में लौटने को कहा जाता है इस दौरान फिर से कैदियों को गिना जाता है। ऐसे ही
रामसिंह भी रविवार की रात अपने बैरक में बंद हुआ था लेकिन अगली सुबह नहीं देख सका
उसने खुदकुशी की या उसकी हत्या हुई ये जानने के लिए अब सभी को उसकी पोस्ट मॉर्टम
रिपोर्ट का इंतज़ार है।
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